भारतीय संस्कृति में आरती का विशेष महत्व है, और Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics उसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक भावपूर्ण प्रार्थना है जो भक्त को अपने आराध्य के साथ एकाकार कर देती है। Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics में है वह सामर्थ्य जो मन के अंधकार को दूर कर, ज्ञान का दीप जला देता है।
Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
Anuradha Paudwal Aarti Kunj Bihari Ki Video
अंततः, Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics हमारे जीवन में एक नया अध्याय खोलता है। यह आरती हमें सिखाती है कि भक्ति का मार्ग कैसे सरल और आनंददायक हो सकता है। इसके माध्यम से, हम श्रीकृष्ण के उस रूप को पा लेते हैं, जो हमारे दैनिक जीवन में भी हमारा साथ देता है।
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